स्कूल का पहला दिन – एक प्यारी कहानी

School Ka Pehla Din रिया के लिए यह दिन बहुत खास था। वह रातभर स्कूल जाने की खुशी और हल्की घबराहट में ठीक से सो भी नहीं पाई थी। सुबह होते ही उसने जल्दी से उठकर अपनी मम्मी से कहा, “मम्मी, मुझे तैयार कर दो! मुझे आज स्कूल जाना है।”

मम्मी ने मुस्कुराते हुए कहा, “रिया, स्कूल का पहला दिन हमेशा यादगार होता है। इसे और भी खास बनाने के लिए, हम तुम्हें तुम्हारे पसंदीदा परांठे बनाकर देते हैं।” रिया खुश हो गई।

मम्मी ने उसे एक साफ-सुथरी यूनिफॉर्म पहनाई। सफेद मोजे और नए जूते पहनने के बाद, रिया ने अपने कंधे पर नया बैग लटका लिया। बैग में किताबें, टिफिन बॉक्स, और पानी की बोतल रखी गई थी। यह सब देखकर रिया को लगा जैसे वह किसी खास सफर पर जा रही हो।

जब वह स्कूल के गेट पर पहुंची, तो वहां का माहौल बिल्कुल अलग था। चारों ओर छोटे-छोटे बच्चे थे, जिनमें से कुछ रो रहे थे, तो कुछ खुश होकर खेल रहे थे। रिया थोड़ी सहम गई। उसने मम्मी का हाथ कसकर पकड़ लिया।

“डर मत, मेरी गुड़िया,” मम्मी ने उसे सांत्वना देते हुए कहा। “यहां सभी तुम्हारे जैसे बच्चे हैं, और तुम्हें बहुत मजा आएगा।” तभी एक प्यारी सी टीचर उनके पास आईं। वह मुस्कुरा कर बोलीं, “रिया, तुम्हारा स्वागत है। आओ, मैं तुम्हें तुम्हारी क्लास दिखाती हूँ।”

क्लासरूम बहुत सुंदर था। वहां छोटे-छोटे बेंच, रंग-बिरंगे पोस्टर, और खिलौने रखे हुए थे। रिया ने एक कोने की सीट पर जाकर बैठने की कोशिश की, लेकिन तभी एक लड़की ने कहा, “यहाँ बैठ जाओ, हम दोस्त बनेंगे।” वह नेहा थी। रिया ने उसकी बात मान ली और दोनों बातें करने लगीं।

पहला पीरियड शुरू हुआ। टीचर ने सभी बच्चों को अपना परिचय देने को कहा। रिया ने हल्के डर के साथ अपना नाम बताया। टीचर ने मुस्कुराकर कहा, “बहुत अच्छा, रिया! हम यहां नई बातें सीखने और खेलने आए हैं। डरने की कोई बात नहीं।”

इसके बाद उन्होंने बच्चों को एक मजेदार कविता सिखाई।
“चंदा मामा दूर के, पूए पकाएं भूर के।”
रिया ने कविता को ध्यान से सुना और अंत में जोर-जोर से गाकर दिखाया। उसकी आवाज सुनकर सबने तालियां बजाईं।

ब्रेक का समय हुआ। रिया ने अपना टिफिन बॉक्स निकाला। उसमें परांठा और आलू की सब्जी थी। नेहा ने भी अपना टिफिन खोला। दोनों ने खाना शेयर किया और खूब बातें कीं। नेहा ने बताया कि वह इस स्कूल में पिछले साल से पढ़ रही है और उसने रिया को आश्वासन दिया कि वह उसकी हर चीज़ में मदद करेगी।

ब्रेक के बाद, बच्चों को पेंटिंग का समय दिया गया। रिया ने अपनी कल्पना में रंग भरते हुए एक सुंदर तितली बनाई। टीचर ने उसकी पेंटिंग देखी और कहा, “बहुत बढ़िया, रिया! तुम्हारी तितली तो बिल्कुल असली लग रही है।”

दिन के अंत में, टीचर ने बच्चों को एक कहानी सुनाई – “सच्चाई की जीत।” कहानी ने सभी बच्चों को सिखाया कि ईमानदारी और मेहनत हमेशा रंग लाती है।

छुट्टी होने के बाद, रिया अपनी मम्मी से लिपट गई और उत्साह से बोली, “मम्मी, स्कूल बहुत मजेदार है! मैंने एक दोस्त बनाया, कविता सीखी, और पेंटिंग भी की।” मम्मी ने उसे गले लगाते हुए कहा, “मुझे पता था कि तुम्हें बहुत मजा आएगा।”

उस रात, रिया ने स्कूल के पहले दिन की यादें अपने पापा को सुनाईं। उसने अपने टिफिन शेयर करने, तितली बनाने और नेहा के साथ हुई दोस्ती का जिक्र किया। पापा ने कहा, “तुम्हारा यह पहला दिन तुम्हारे जीवन की सबसे खास यादों में से एक रहेगा।”

सीख:
नई शुरुआत चाहे कितनी भी अजनबी लगे, उसमें हमेशा कुछ नया और मजेदार छिपा होता है। अगर हम खुलकर उसे अपनाते हैं, तो हर दिन हमें नई खुशियां और दोस्त देता है।

आपका School Ka Pehla Din कैसा था? हमें जरूर बताएं! 😊
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